Tuesday, October 21, 2008

हिंदी पखवाड़ा और ' गिरगिट '

हिंदी पखवाड़ा हमेशा हमारे स्कूल में पंद्रह दिनों के लिए हिंदी भाषा से जुड़ी गतिविधियों को तेज कर देता है.हिंदी की स्वरचित कविताएँ बच्चों द्वारा असेंबली में प्रतिदिन पढ़ी जाती हैं.इस बार भी यह दौर चला.समापन समारोह के दिन अनीशा आचार्या के सुरीले सुरों में जयशंकर प्रसाद की लिखी कविता प्रांगण के गोशे‍‍‍‌‌ गोशे में खनक उठी.कबीर के दोहे समूह गान के रूप में प्रस्तुत किया गया. कार्यक्रम की अन्य औपचारिकताओं के अलावा मेरी संवेदनाओं से जुड़ गया एक नाटक. जब मेरे दशम कक्षा के छात्रों ने "ऐंटन चेखव" द्वारा लिखित कहानी "गिरगिट" का भारतीय परिप्रेक्ष्य में रंगमंचीय रूपांतरण प्रस्तुत किया. इस कहानी में रूस के महान लेखक ने एक ऐसे अवसर का वर्णन किया है जब जारशाही शासन चापलूसों,भाई भतीजावाद के पोषक अधिकारियों के भरोसे चल रहा है.
अमन नायक‌ जिन्होंने इंस्पेक्टर रामखिलावन की भूमिका निभाई थी उनके संवाद ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‍‍‌‌‌..".का बात है रे.........काहे को चिचिया रहा है"........... ने पल भर में सारे छात्रों को नाटिका से जोड़ दिया .सुदीप चक्रवर्ती, जो नथुआ की भूमिका में बड़े प्रभावशाली रहे.पखवाड़ा २००८ तो समाप्त हो गया पर इस नाटक का आयोजन दिल के एक कोने को सुकून दे गया.


1 comment:

Manish Kumar said...

shukriya is Jaankari ke liye. Agli baar video clip upload karne ki koshish karein, natak ka vatavaran yahan tak pahunch jayega.