ये इश्क नहीं आसान सजन
समझो न इसे तुम सहज सनम
तुमने हमको ओके कर दिया
जीवन मे शामील कर लीया
हम थे सपनो मे झूल रहे
सिनेमाई रातों को गुन रहे
सपनों जैसा कुछ हुआ नहीं
पैर था सपनों से कुछ कम भी नहीं
जीवन मे नया प्रकाश हुआ
नव प्रेम गीत संचार हुआ
तुम हीरो जैसे थे उन्नत
मैं जीरो जैसी हुई नत
पैर गीत प्रगीत आरंभ हुआ
हमारा परिवार सम्पन्न हुआ
तुम ऊबे घर गृहस्थी से
हम भागे पीछे चुस्ती से
तुम चाट पकौड़ी चाहो हो
हम सब्जी आटा दाल हुए
तुम फ्लुफ्फ्य ओम्लेट चाहो हो
हम खुद ही फुटबाल हुए
तुम रानी mukherji चाहो हो
हम बस lalita पवार हुए
तुम मीठी बातें सुनना चाहो
हम रसहीन viheen अनार हुए
तुम चाहो बनना भोले सजना
हम नारी mukti के तीर हुए
अब चलो जरा सोचें आगे
इसके पहले भागे आगे
जब हम तुम घर मैं बैठे होंगे
बातो के gilli डंडे होंगे
हम chitragupt बन बन कर
जीवन को rewaind कर कर के
एक दूजे को दावा khila khila कर
पूछेंगे प्रश्न इत्मिनान होकर
पैर एक प्रश्न है अब भी तजा
क्या यही है हमारी फिल्म राजा
Sunday, December 30, 2007
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