Sunday, March 29, 2009


काग़ज़ों की कतरनो की भाषा
कागजों के छोटे छोटे टुकड़ों को जोड़कर कुछ कहने के इस प्रयास को कोलाज कहा जाता है.ये कागज पत्रिकाओं में छपे इश्तहार से चुराए गये हैं.इसे बनाकर हमें सृजनात्मक सुख का अनुभव हुआ. अब देर काहे की आप भी निकालिए पुरानी पत्रिकाएँ और लीजिए मज़ा अपनी सृजनशक्ति का.

1 comment:

upendra said...

बिश्वास ही नही होता कि ए कागज की कतरणों से बनाई गईं हैं. बिल्कुल पेंटिंग्स जैसी दिखती हैं. बनाने की कला को थोड़ा विस्तार से लिखतीं तो अच्छा रहता