Sunday, December 30, 2007

ये इश्क नहीं आसान सजन

ये इश्क नहीं आसान सजन
समझो न इसे तुम सहज सनम
तुमने हमको ओके कर दिया
जीवन मे शामील कर लीया
हम थे सपनो मे झूल रहे
सिनेमाई रातों को गुन रहे
सपनों जैसा कुछ हुआ नहीं
पैर था सपनों से कुछ कम भी नहीं
जीवन मे नया प्रकाश हुआ
नव प्रेम गीत संचार हुआ
तुम हीरो जैसे थे उन्नत
मैं जीरो जैसी हुई नत
पैर गीत प्रगीत आरंभ हुआ
हमारा परिवार सम्पन्न हुआ
तुम ऊबे घर गृहस्थी से
हम भागे पीछे चुस्ती से
तुम चाट पकौड़ी चाहो हो
हम सब्जी आटा दाल हुए
तुम फ्लुफ्फ्य ओम्लेट चाहो हो
हम खुद ही फुटबाल हुए
तुम रानी mukherji चाहो हो
हम बस lalita पवार हुए
तुम मीठी बातें सुनना चाहो
हम रसहीन viheen अनार हुए
तुम चाहो बनना भोले सजना
हम नारी mukti के तीर हुए
अब चलो जरा सोचें आगे
इसके पहले भागे आगे

जब हम तुम घर मैं बैठे होंगे
बातो के gilli डंडे होंगे
हम chitragupt बन बन कर
जीवन को rewaind कर कर के
एक दूजे को दावा khila khila कर
पूछेंगे प्रश्न इत्मिनान होकर

पैर एक प्रश्न है अब भी तजा
क्या यही है हमारी फिल्म राजा

Wednesday, October 3, 2007

विश्व व्यस्क दिवस के अवसर पर एक भेट
दादा दादी सबको प्रणाम हमारा
नाना नानी सबको सलाम हमारा
आओ सब मिल कर खेले दिन सारा
छोटे छोटे बच्चे हम छोटी छोटी आशा
छोटे छोटे सपने है छोटी परिभाषा
आओ न हमारे साथ बच्चे बन जाओ
मामा मामी सबको सलाम हमारा
चाचा चाची सबको सलाम हमारा
आओ सब मिल कर खेले दिन सारा
जब भी मनवानी हो माँ से कोई बात
पकड़े हम दादा दादी करे उनसे बात
आँखे जो दिखाए उन्हें माँ भी जाये मान
मौसा मौसी सबको सलाम हमारा
फूफा फूफी सबको सलाम हमारा
आओ सब मिल कर खेले दिन सारा
गोद मै तुम्हारी है खानी सुनना
बड़े बड़े सपने साकार करना
गलती जो हुई तो हमें माफ़ करना
काका काकी सबको सलाम हमारा
ताई ताया सबको सलाम हमारा
आओ सब मिल कर खेले दिन सारा
आपके हमारे ऊपर बड़े अहसान
हमै आप पर है बड़ा अभिमान
आपकी ही छाया मै फूले फले हम
दादा दादी सबको प्रणाम हमारा
नाना नानी सबको सलाम हमारा
आओ सब मिल कर खेले दिन सारा

Friday, March 9, 2007

"हालत नौनिहालों की"का मंचन


मुझे यह बताते हुए बहुत ही खुशी और गर्व का अनुभव हो रहा है कि ब्लाग की दुनिया कितनी हसीन और उपयोगी है। मैंने परिचर्चा में रत्ना जी से गुजारिश की थी कि वो बच्चों के लिए उनके जीवन से संबंधित एक गीत लिखें।

न कोई तगादा न मनौवल। रत्ना जी ने मुझसे समय परिधि माँगी। मैं इंतजार कर रही थी। उन्होंने जो लिखा आप सबको विदित है.पर मेरी सोचिए मैं तो खुशी से झूम उठी.अपने स्कूल के Parents day के समारोह के लिए एक कार्यक्रम का जिम्मा खुशी॑-खुशी ले लिया।
जब मैंने कविता पढकर अपनी सुपरवाइजर को सुनाई तो उन्होंने फट अपनी बंदूक तानी और हमारे उमंग के फूलते गुब्बारे को पिचका डाला. कहने लगीं आप समझती हैं कि हम बच्चों को प्रताड़ित करते हैं? माना कि कविता अच्छी है पर आप ...

मैं मानने को तैयार नहीं थी.उन्होंने मुझे एकेडमिक सुपरवाइजर के पास भेजा.जो कि हिन्दी की शिक्षिका हैं.उन्होंने कविता पढी और बहुत खुश हुईं। कहा कविता तो बड़ी अच्छी है, पर जब एक बार सबके मन में संशय है कि यह कविता विद्यालय के खिलाफ है तो आप इसे उसी अनुरूप बनाइए।
अब तो बात वैसी ही थी चौबे चले छब्बे बनने और दूबे बनकर आ गए। में घबराई मैंने तुरंत रत्ना जी को लिखा कि अगर वो कुछ फेर बदल कर सकें। हालाकि हमारे पतिदेव ने कहा भी कि किसी की भलमनसाहत का फायदा तो मत उठाओ। पर जी हमारे तो हाथ पैर फूले हुए थे।सो हमने डरते डरते अपनी प्रार्थना रत्ना जी तक पहुँचाई। पर विद्यालय में आलम ये था कि तगादे होने लगे। मैंने कहा मैं इसकी जगह कोई नाच करा दूँगी। हमारा सर ओखली में फँसा था ।

हमने कुछ कोशिश की और इस गीत कुछ फेर बदल किया । 48 बच्चों को लेकर भाँगड़ा शैळी में इस गीत को ढाला गया । बच्चों को इसे करने में बड़ा मजा आया। सबने रत्नाजी की पंक्तियों को बहुत सराहा। सब मुझसे यही पूछ रहे थे कि क्या मैं उन्हें पहले से जानती थी? यह सब कमाल था ई -परिवार का। मैं रत्नाजी को एक बार फिर से धन्यवाद देना चाहूँगी जिनके चलते यह कार्यक्रम संभव हो सका।
गीत में जो थोड़ा फेर बदल किया गया वो इस प्रकार है।


समवेत
सुनो हालत हम मतवालों की
इस देश के नौनिहालों की
हम दिल का हाल होए
हम दिल का हाल सुनाते हैं
तुम्हें अपनी बात बताते हैं

लड़के
हम जरा सा बस तुतलाए थे
माँ ने ढेरों सबक रटाए थे
यहाँ बोलना तक जंजाल हुआ
बचपन का बुरा हाल हुआ

लड़कियाँ
ओऽऽऽमाँ ने अपना धरम निभाया है
तुम्हें सही जगह पहुँचाया है
बातों ही बातों में होयऽऽऽ
जीवन का सबक सिखाया है
बचपन खुशहाल बनाया है

लड़के
ओऽऽऽअभी चलना सीख न पाए थे
पापा स्कूल ले आए थे
यहाँ कदम बढाना होए
यहाँ बोलना तक जंजाल हुआ

लड़कियाँ
होऽऽऽ
तुम डगमग करते आए थे
यहाँ ढेरों साथी पाए थे
यहाँ खेल खिलौने पाए थे
मस्ती में समय बिताया है
बचपन खुशहाल बनाया है

लड़के
ओऽऽऽजब भोर के सपने आते हैं
माँ बाप झिंझोड़ जगाते हैं
यहाँ सपन सलोना होए
यहाँ सपनों का अकाल हुआ
बचपन का बुरा हाल हुआ

लड़कियाँ
ओऽऽऽजो सोवत है सो खोवत है
जो जागत है सो पावत है
झूठे सपने हम क्यो देखें
पढ लिख उनको साकार करें

लड़के
ओऽऽसंध्या को खेल न पाते हैं
हम होमवर्क निपटाते हैं
यहाँ खेलना भी इक ख्याल हुआ
बचपन का बुरा हाल हुआ

लड़कियाँ
ओऽऽऽतुम मत भूलो कर्त्तव्यों को
अपने सारे दायित्वों को
ये देश है अपना होय
कुछ करो नया दिखलाओ तुम
इस देश को आगे बढाओ तुम


बिग बॉस

पिछले कई सप्ताहों से मैं यह सीरियल देखती आ रही थी।मनुष्य की भावनाओं का मनोवैज्ञानिक अध्ययन करने का बड़ा ही रुचिकर माध्यम देखने को मिला। राखी सावंत के व्यवहार ने आधुनिक समाज के बदलते तेवर का सीधा सपाट खुळासा कर डाला। कामयाबी की खोज में कुछ भी करने को तैयार युवा ईमानदारी की दुहाई देते दिखे। रवि भैया अपनेआप को ही कर्ता धर्तामानते रहे। रूपाली जी दूसरों की निगाह में अच्छा बनने के लिए सबके पैर दबाती दिखीं। अनुपमा और आर्यन की टूटी जोड़ी दर्शकों को स्तब्ध कर गई। आम आदमी अचानक सोचने को मजबूर हो गया कि हम क्या इतने बनावटी हो गये हैं?सहजता हमसे सिमट कर दूर जा रही है। हमें उसे वापस लाना होगा।